डेल्हीवरी ने कोलकाता में अपनी ग्रोथ समिट के साथ डी2सी ईकोसिस्टम मजबूत किया
कोलकाता: भारत की सबसे बड़ी लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन सेवा प्रदाता, डेल्हीवरी ने कोलकाता में ग्रोथ समिट का आयोजन किया, जिसमें 180 से ज्यादा डी2सी संस्थापकों, उद्यमियों और सप्लाई चेन एक्सपर्ट्स ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में टियर 2 और टियर 3 शहरों में डायरेक्ट-टू-कंज़्यूमर ब्रांड्स के लिए बढ़ते अवसरों और भारत में ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने के डेल्हीवरी के कमिटमेंट का प्रदर्शन हुआ।
डेल्हीवरी ने अपनी नौंवी ग्रोथ समिट का आयोजन कोलकाता में किया। इस कार्यक्रम में टियर 2 और टियर 3 शहरों में डायरेक्ट-टू-कंज़्यूमर ब्रांड्स के लिए बढ़ते हुए अवसरों के बारे में बताया गया तथा भारत में विकास और ई-कॉमर्स वृद्धि में डेल्हीवरी की भूमिका पर बल दिया गया।
इस समिट में उद्योग के दिग्गजों ने गहन पैनल वार्ताओं के साथ अपने विचार रखे, जिनमें कृष्णा आयुर्वेद के संस्थापक, निखिल डागा; सुप्रा पेन्स के संस्थापक एवं सीईओ, संजीव जैन; नेस्टासिया के संस्थापक, अनुराग अग्रवाल; विशकेयर के सह-संस्थापक, अंकित कोठारी शामिल थे। कार्यक्रम में डी2सी बिज़नेस के विस्तार, एआई-संचालित लॉजिस्टिक्स को ऑप्टिमाईज़ करने, तथा भारत के वंचित बाजारों की क्षमता लाभ उठाने में टेक्नोलॉजी की परिवर्तनकारी भूमिका के बारे में बातचीत की गई।
पूर्वी भारत का आर्थिक केंद्र, कोलकाता देश की अर्थव्यवस्था में एक बड़ा योगदान देता है। पश्चिम बंगाल से 2023-24 में लगभग 13.8 बिलियन डॉलर का निर्यात किया गया था। कोलकाता उत्तर-पूर्व भारत और पड़ोसी देशों का मुख्य गेटवे है। इन कारणों से यह उभरते हुए बाजारों में विस्तार करने के इच्छुक डी2सी ब्रांड्स के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है।
डेल्हीवरी में हेड ऑफ मार्केटिंग एंड एसएमई बिज़नेस, मोहम्मद अली ने कहा, ‘‘हम डी2सी ब्रांड्स को मजबूत लॉजिस्टिक्स एवं विकास में मददगार नेटवर्क प्रदान करना चाहते हैं। टियर 2 और टियर 3 शहर ई-कॉमर्स के विकास के अगले केंद्र होंगे। हम इन क्षेत्रों में व्यवसायों का सहयोग करने के लिए समर्पित हैं।’’
इस समिट से पहले डेल्हीवरी की पिछली ईवेंट्स में 1,000 से अधिक डी2सी ब्रांड्स को विशेषज्ञों, निवेशकों, और कैशफ्री एवं इन्फोबिप जैसे इनेब्लर्स से संपर्क करने का मौका मिल चुका है। ये समिट ब्रांड्स को अनुकूलित समाधान प्रदान करती हैं, ताकि वो विकास की चुनौतियों को पार करते हुए लगातार विकसित होते हुए परिदृश्य में अपनी सस्टेनेबिलिटी सुनिश्चित कर सकें।