टियर 2 शहरों से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित करने तक नर्सें भारत में स्वास्थ्य सेवा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं

दिल्ली – साल 2020 में भारत की नर्सों ने तब मोर्चा संभालाजब देश को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। पाँच साल बाद आज वो केवल अपना दायित्व ही नहीं निभा रही हैंबल्कि देश और विदेश में हैल्थकेयर के भविष्य को भी आकार दे रही हैं। महामारी की चुनौती का सामने से मुकाबले करने से लेकर वैश्विक अवसरों के गलियारों तकभारत की नर्सें पिछले पाँच सालों में सबसे ज्यादा मांग में रहने वाले कार्यबलों में से एक हैं। विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर जारी इनडीड के नए आँकड़े इच्छाशक्तिबढ़ती महत्वाकांक्षाऔर हैल्थकेयर के बदलते परिदृश्य की कहानी कहते हैं। इनडीड के नए आँकड़ों में भारत में खासकर टियर-2 और छोटे शहरों में नर्सों की भूमिका में स्थिर वृद्धि प्रदर्शित होती है। साथ हीये आँकड़े पूरी दुनिया की नर्सों के बीच बढ़ती रुचि का भी खुलासा करते हैंजो भारत को नौकरी के लिए सबसे व्यवहारिक स्थान के रूप में देख रही हैं।

भारत में नर्सों की नौकरी की पोस्टिंग मार्च 2020 के बाद 44 प्रतिशत बढ़ी है। इसी अवधि में नौकरी के इच्छुकों की रुचि 75 प्रतिशत बढ़ी है। महामारी बीत चुकी हैलेकिन स्वास्थ्य सेवा के कार्यबल पर इसका प्रभाव और केयर के बारे में हमारी सोच का लगातार विकास हो रहा है।

इनडीड इंडिया में हेड ऑफ सेल्सशशि कुमार ने कहा, ‘‘भारत में नर्सिंग लंबे समय से शांत इच्छाशक्ति का व्यवसाय है। अब यह पूरे विश्व में मान्यताप्राप्त करियर बन रहा है। आँकड़े स्पष्ट संदेश दे रहे हैं कि भारत में विश्व को कुशल एवं दयालु स्वास्थ्य सेवा प्रतिभा की आपूर्ति करने की क्षमता हैलेकिन यह भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि आज हम प्रशिक्षणइन्फ्रास्ट्रक्चर और अवसरों में किस प्रकार निवेश करते हैं।’’

प्रतिभा की मोबिलिटीः नॉन-मेट्रो केंद्रों से लेकर वैश्विक मंच तक

उल्हासनगर (महाराष्ट्र)पलवल (हरियाणा)करीमनगर (तेलंगाना)और अंगमाली (केरला) जैसे छोटे शहर नर्सों की नौकरियों के केंद्रों के रूप में उभर रहे हैं। उल्हासनगर में नौकरी की सभी पोस्टिंग्स में 15 प्रतिशत पोस्टिंग नर्सों के लिए थीं। इन शहरों के बाद तमिल नाडु और छत्तीसगढ़ के शहरों में भी स्वास्थ्य सेवा के लिए नियुक्तियाँ बढ़ रही हैंतथा उन विद्यार्थियों को अवसर प्राप्त हो रहे हैंजो अपने घर के पास तथा कम सैचुरेटेड बाजारों में काम करना चाहते हैं। इससे स्वास्थ्य सेवा के लिए नियुक्तियों का विकेंद्रीकरण प्रदर्शित होता है। महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवा केंद्रों की सूची में इन शहरों का होना आवश्यक नहीं हैपर नर्सिंग के लिए नौकरियों की पोस्टिंग में ये शहर सबसे ज्यादा योगदान दे रहे हैंजिससे मेट्रो शहरों के बाहर भी केयर इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार प्रदर्शित होता है।

जहाँ भारत में नर्सों की घरेलू मांग स्थिर बनी हुई हैजो मार्च 2023 से मार्च 2024 के बीच नौकरियों की पोस्टिंग में साल-दर-साल 15 प्रतिशत की वृद्धि में परिलक्षित होती हैवहीं नौकरी की इच्छुक कई नर्सें विदेशों में अवसरों की तलाश में हैं। इनडीड के आँकड़ों के अनुसार भारतीय यूज़र्स द्वारा विदेशों में नर्स की नौकरी तलाशने के लिए किए गए क्लिक्स में फरवरी 2023 से फरवरी 2025 के बीच 22.5 प्रतिशत की वृद्धि हुईजबकि इस तरह के पदों के लिए कुल क्लिक वॉल्यूम 3 प्रतिशत घटा। विदेशों के लिए किए जाने वाले सबसे ज्यादा क्लिक अमेरिका के लिए दर्ज किए गएजहाँ भारतीय यूज़र्स द्वारा नर्सों की नौकरियों के लिए 39 प्रतिशत क्लिक किए गए। इसके बाद के क्रम में अगले देश संयुक्त अरब अमीरात (16 प्रतिशत)यूनाईटेड किंगडम (13 प्रतिशत)कैनेडा (12 प्रतिशत)और ऑस्ट्रेलिया (11 प्रतिशत) रहे। ये पाँच देश मिलकर भारत की नर्सों के लिए सबसे पसंदीदा अंतर्राष्ट्रीय स्थान हैं। इसके अलावासबसे ज्यादा फोकस भारत पर रहा। नर्स की नौकरी के लिए किए जाने वाले 74 प्रतिशत क्लिक भारत में ही अवसर तलाशने के लिए किए गए।

श्री कुमार ने कहा, ‘‘जिन देशों में नर्सों की कमी हैउनके लिए भारत में एक तैयार और मजबूत कार्यबल मौजूद है।’’

प्लेटफॉर्म के डेटा से यह भी प्रदर्शित होता है कि विशेष कौशल वाले प्रत्याशियों को इंटरव्यू के लिए बुलाए जाने की संभावना ज्यादा होती है। विभिन्न भाषाओं की समझ और कम्युनिकेशन स्किल नौकरी के लिए आवश्यक सबसे महत्वपूर्ण कौशलों में शामिल हैं। इसके अलावाभारत की नर्सों की ओर पूरे विश्व का ध्यान अकारण ही नहीं जा रहा है। भारत की नर्सों का मजबूत क्लिनिकल अनुभवकई भाषाओं की समझ और खासकर क्रिटिकल केयर एवं पोस्ट-ऑपरेटिव रिकवरी में वैश्विक हैल्थकेयर प्रोटोकॉल्स को समझना उनका महत्वपूर्ण कौशल है। ये गुण महामारी के दौरान और अत्यधिक दबाव में काम करने वाले सार्वजनिक हॉस्पिटल सिस्टम के कारण निखरकर आए हैं। इन नौकरियों के लिए आम तौर से प्रॉविडेंट फंडस्वास्थ्य बीमाऔर खाने के साथ पेड सिक लीव का फायदा भी दिया जाता हैजिससे ब्लू कॉलर हैल्थकेयर के पदों का बढ़ता औपचारीकरण प्रदर्शित होता है।

मांग में यह वृद्धि खासकर महामारी के बाद के परिदृश्य में भारत में जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सेवा ढांचे को मजबूत बनाने पर दिए गए जोर के अनुरूप है। सरकार और निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं द्वारा सपोर्ट स्टाफ की ज्यादा नियुक्ति किए जाने के साथ इनडीड जैसे प्लेटफॉर्म प्रतिभा और अवसर के बीच एक मुख्य सेतु का काम कर रहे हैं।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed