एनएचएआई (NHAI) और अमृता अस्पताल ने ‘सर सलामत तो घर सलामत’ अभियान के अंतर्गत व्यापक आपातकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया, राजमार्गों को बनाया जा रहा है और अधिक सुरक्षित

फरीदाबाद/नई दिल्ली, 23 मार्च 2025 – भारत वैश्विक स्तर पर सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली सर्वाधिक मृत्यु का साक्षी है, जहां प्रतिवर्ष लगभग 1.78 लाख लोग अपनी जान गंवाते हैं। इस चिंताजनक स्थिति को ध्यान में रखते हुए, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने विश्व सिर पर चोट जागरूकता दिवस (20 मार्च) के अवसर पर अमृता अस्पताल, फरीदाबाद के साथ एक दीर्घकालिक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।
इस साझेदारी के अंतर्गत ‘सर सलामत तो घर सलामत’ नामक एक राष्ट्रव्यापी पॉली ट्रॉमा जागरूकता अभियान की शुरुआत की गई है, जिसके माध्यम से एनएचएआई (NHAI) के एम्बुलेंस स्टाफ, निजी एम्बुलेंस सेवा प्रदाताओं एवं हरियाणा पुलिस के गश्ती वाहनों को आपातकालीन प्रतिक्रिया में प्रशिक्षित किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं के बाद त्वरित और प्रभावी प्राथमिक चिकित्सा सुनिश्चित करना है, जिससे अमूल्य जीवनों की रक्षा की जा सके।
अभियान के तहत, 23 मार्च को अमृता अस्पताल में न्यूरो-एनेस्थीसिया एवं न्यूरोक्रिटिकल केयर के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. गौरव कक्कड़ द्वारा 50 से अधिक एम्बुलेंस कर्मियों को वास्तविक परिस्थितियों पर आधारित व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। यह एक व्यापक प्रशिक्षण अभियान का आरंभिक चरण है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक तीन माह में नियमित प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाएंगे। इस अवसर पर एक जागरूकता बाइक रैली का भी आयोजन किया गया।
यह प्रयास भारत सरकार की स्टॉकहोम घोषणा के अंतर्गत वर्ष 2030 तक सड़क दुर्घटनाओं में 50% की कमी लाने की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।
श्री अजय टम्टा, राज्य मंत्री, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, ने कहा, “दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए सरकार शिक्षा, इंजीनियरिंग, प्रवर्तन और आपातकालीन चिकित्सा – इन चार स्तंभों पर केंद्रित समग्र रणनीति के साथ कार्य कर रही है। अमृता अस्पताल जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ सहयोग इस लक्ष्य की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम है। एम्बुलेंस स्टाफ और पुलिस बल, ट्रॉमा प्रतिक्रिया में अग्रिम पंक्ति के योद्धा हैं, और उनका सशक्तिकरण जीवनरक्षा के लिए अनिवार्य है।”
श्री मोहम्मद साफी, क्षेत्रीय अधिकारी – दिल्ली, एनएचएआई, ने कहा, “राष्ट्रीय राजमार्ग और एक्सप्रेसवे देश में कुल सड़क दुर्घटनाओं के 39.2% के लिए उत्तरदायी हैं, जिनमें सर्वाधिक प्रभावित दोपहिया वाहन चालक हैं। इस चुनौती का समाधान तत्काल, कुशल और प्रशिक्षित आपातकालीन प्रतिक्रिया के माध्यम से ही संभव है। इस समझौता ज्ञापन के माध्यम से हम एम्बुलेंस कर्मियों को अत्याधुनिक ट्रॉमा देखभाल में प्रशिक्षित करेंगे, जिससे दुर्घटनाग्रस्त व्यक्तियों की जीवन रक्षा की संभावना बढ़ेगी।”

स्वामी विजयामृतानंद पुरी, अमृता अस्पताल, ने कहा, “सड़क सुरक्षा केवल अवसंरचना का विषय नहीं, बल्कि प्रत्येक जीवन को महत्व देने का दायित्व है। यदि दुर्घटना के पश्चात प्रथम घंटे में चिकित्सा मिल जाए, तो लगभग 50% मौतों को रोका जा सकता है। अमृता अस्पताल इस मिशन के अंतर्गत एम्बुलेंस कर्मियों को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु प्रतिबद्ध है। हमारी यह पहल पूरे देश में राजमार्गों पर त्वरित और सुसंगत आपातकालीन प्रतिक्रिया की नींव रखेगी।”
यह महत्त्वाकांक्षी प्रशिक्षण अभियान, जो भविष्य में हजारों एम्बुलेंस कर्मचारियों को सशक्त करेगा, ऐसे समय में आरंभ हुआ है जब भारत विश्व की कुल सड़क दुर्घटनाओं में 11% का योगदान करता है। ‘सर सलामत तो घर सलामत’ वार्षिक अभियान, राष्ट्रव्यापी स्तर पर सड़क सुरक्षा, आपातकालीन तैयारी और उत्तरदायी वाहन संचालन के लिए एक अनुकरणीय मॉडल बनेगा।
अमृता अस्पताल, फरीदाबाद के बारे में:
अमृता अस्पताल, फरीदाबाद, एक सामान्य चिकित्सालय नहीं, बल्कि एक समर्पित उपचार, करुणा और नवाचार का केंद्र है। 130 एकड़ में विस्तृत यह भारत का सबसे बड़ा निजी मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल है। श्रीमाता अमृतानंदमयी देवी (अम्मा) की दृष्टि से प्रेरित यह संस्थान गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा को प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध है, चाहे उसकी सामाजिक या आर्थिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो।
अस्पताल में 2,600 बिस्तर हैं, जिनमें 534 आईसीयू बेड शामिल हैं, और यह देश की सर्वाधिक 81 चिकित्सा विशेषज्ञताओं में सेवाएं प्रदान करता है। इसके अलावा यहां 64 उन्नत ऑपरेशन थिएटर एवं 10 अत्याधुनिक प्रिसिजन ऑन्कोलॉजी बंकर हैं। यह अस्पताल केवल चिकित्सा सेवा नहीं बल्कि चिकित्सा शिक्षा का भी केंद्र है। अमृता विश्व विद्यापीठम् के आठवें परिसर के रूप में, यह एक पूर्ण आवासीय 150 सीटों वाला एमबीबीएस कार्यक्रम संचालित करता है, साथ ही नर्सिंग और एलाइड हेल्थ साइंसेज़ के कॉलेज भी यहां मौजूद हैं।
यह संस्थान तकनीकी दक्षता, मानवीय संवेदनशीलता और संपूर्ण स्वास्थ्य सेवा के समन्वय के माध्यम से, रोगी के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक उपचार में विश्वास रखता है।

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