समावेशी शिक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम: ‘प्रोजेक्ट-इनक्लूजन’ से 3,60,000 शिक्षक प्रशिक्षित
हिंदी में समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने का बड़ा प्रयास
दिल्ली: श्री अरविन्द सोसायटी रूपांतर और एसबीआई फाउंडेशन के संयुक्त प्रयास से शुरू किया गया ‘प्रोजेक्ट-इनक्लूजन‘ भारतीय विद्यालयों में समावेशी शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव ला रहा है। तीन वर्षों के भीतर इस प्रोजेक्ट ने 3,60,000 से अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षित किया है, जो अब देशभर के 1,254 केंद्रीय विद्यालयों में अपने शिक्षण को प्रभावी ढंग से लागू कर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य न्यूरोडायवर्स (विभिन्न प्रकार के मानसिक और शैक्षणिक आवश्यकताओं वाले) विद्यार्थियों के सीखने की प्रक्रिया को सुधारना है।
समावेशी शिक्षा के लिए व्यापक प्रयास
यह कार्यक्रम नई शिक्षा नीति (NEP) 2020, दिव्यांगजन अधिकार कानून-2016 और सतत विकास लक्ष्य 4 (SDG 4) के तहत समावेशी शिक्षा की दिशा में उठाए गए कदमों के अंतर्गत है। इस परियोजना का उद्देश्य शिक्षकों को तकनीकी रूप से सक्षम बनाना, उन्हें नए शिक्षण विधियों से लैस करना और स्कूलों में समावेशी शिक्षा का माहौल बनाना है।
प्रोजेक्ट-इनक्लूजन के तहत, शिक्षकों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के माध्यम से छात्रों की जरूरतों को समझने और उन्हें बेहतर तरीके से मदद करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। इससे कक्षाओं में न्यूरोडायवर्स छात्रों की पहचान और समर्थन करना अधिक प्रभावी हो गया है।
समावेशी शिक्षा में बाधाओं का सामना
सितंबर 26-27, 2024 को आयोजित एक प्रमुख कार्यक्रम में, भारतीय शिक्षा क्षेत्र के प्रमुख नीति-निर्माताओं, शिक्षकों और विशेषज्ञों ने समावेशी शिक्षा के भविष्य पर चर्चा की। इस चर्चा में, एनसीईआरटी, सीबीएसई, एनसीटीई, और ऑस्ट्रेलियन काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च जैसे प्रमुख संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसमें यह बताया गया कि समावेशी शिक्षा में मुख्य बाधाएं क्या हैं, जैसे कि न्यूरोडायवर्स छात्रों की पहचान की कमी, शिक्षकों का अपर्याप्त प्रशिक्षण और स्कूलों में तकनीकी संसाधनों की कमी।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए, विशेषज्ञों ने समाधान साझा किए, जिनमें पाठ्यक्रम सुधार, शिक्षक दक्षताओं को उन्नत करने के उपाय और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल करने पर जोर दिया गया।
शिक्षक और स्कूलों को सम्मानित किया गया
कार्यक्रम में, प्रोजेक्ट-इनक्लूजन की सफलता में योगदान देने वाले शिक्षकों, स्कूल अधिकारियों और प्रधानाचार्यों को विशेष सम्मानित किया गया। उन्होंने समर्पित तकनीकी और व्यवहारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया है और समावेशी शिक्षा के तहत छात्रों को बेहतर शैक्षणिक अनुभव प्रदान किया है।
इस अवसर पर, श्रीमती केसांग यांगज़ोम शेरपा, सदस्य सचिव, राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE), ने कहा, “हमारे समर्पण से भारत में समावेशी कक्षाओं का निर्माण होगा, जिससे सभी छात्रों को एक समान अवसर मिल सकेगा।”
समावेशी शिक्षा में तकनीकी योगदान की अहमियत
श्री अरविन्द सोसायटी रूपांतर की चीफ प्रोग्राम ऑफिसर, डॉ. सिम्मी महाजन ने कहा, “हम समावेशी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षकों, छात्रों और स्कूल तंत्र के सभी आवश्यक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हम इस दिशा में अपने तकनीकी प्रयासों को बढ़ाते हुए शिक्षकों और छात्रों के लिए सर्वोत्तम संभव साधन उपलब्ध करा रहे हैं।”
प्रोजेक्ट-इनक्लूजन का लक्ष्य है कि सभी छात्रों को एक समावेशी और न्यायसंगत शिक्षा मिले, जिससे वे कक्षा में खुद को जुड़ा हुआ महसूस करें।
इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के अंतर्गत किए गए प्रयास देश के शिक्षा तंत्र को एक समावेशी दिशा में ले जा रहे हैं, जिससे न्यूरोडायवर्स छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो रही है।